घटना के बारे में शहर के तमाम गणमान्यों को खबर हो जाती है, लेकिन अपने ही अधिकारी को बचाने या उसके साथ खड़े होने या उसके गलत होने पर उसे दंडित करने जैसे फैसले न ले पाने के कारण कमिश्नर की कार्यप्रणाली पर भी उंगलियां उठने लगी हैं। अगर कमिश्नर ने पहले ही मामले को गंभीरता से लिया होता तो शायद पुलिस की भी साख बच जाती और विधायक की भी किरकिरी जनता के बीच न होती।
विवादों की हो रही समीक्षा
जालंधर में अधिकारियों और विधायकों के बीच हुए दो बड़े विवादों की अब सत्ता के गलियारों में समीक्षा की जाने लगी है। पहला विवाद जालंधर वेस्ट के विधायक शीतल अंगुराल का जिला प्रशासनिक कांप्लेक्स में हुआ था। शीतल समर्थकों के साथ कर्मचारियों की कार्यप्रणाली देखने गए थे और कई खामियां निकाली थी। इसके बाद डीसी के साथ बैठक में एडीसी के साथ उनका विवाद हुआ था।
सरकार का दबाव पड़ने पर उन्होंने अपनी गलती मान कर मामले को शांत किया था। दूसरे चर्चित मामले में सेंट्रल हलके के विधायक रमन अरोड़ा ने सिविल अस्पताल में महिला डाक्टर हरवीन कौर व स्टाफ से माफी मांगकर मामले को शांत किया। इस मामले में अस्पताल के स्टाफ ने शीतल के भाई राजन व उनके समर्थकों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। अब मंगलवार को इस मामले में रमन अरोड़ा राजन को लेकर सिविल अस्पताल जाएंगे। देखना है कि इस बार माफी कौन मांगता है।